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चमत्कार! महिला के हाथ में तैयार होंगे अंडाणु

नई दिल्ली ।। डिकल साइंस के क्षेत्र में देश में एक बड़ी कामयाबी मिलने की उम्मीद पैदा हुई है। भारत में एक अहम मेडिकल प्रक्रिया के तहत डॉक्टर पहली दफा एक महिला को उसकी बांह के अगले हिस्से (फोरआर्म) में अंडाणु विकसित करने में मदद करेंगे। अगर यह सफलतापूर्वक हो जाता है तो इससे कैंसर या अन्य उपचार की वजह से बांझपन का शिकार हुए मरीजों को एक बड़ी सौगात मिल सकती है।

यहां के आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल के डॉक्टरों ने कैंसर मरीजों के ओवेरियन टिश्यू (गर्भाश्य उत्तक) को सुरक्षित रखा है। इन टिश्यू को वे बाद में उनके अग्रबाहु या पेट में उस समय इंप्लांट करेंगे, जब इन्हें संतान पैदा करने की इच्छा होगी। इन मरीजों को ओवेरियन टिश्यू से अंडाणु (एग्स) विकसित करने में मदद करने के लिए दवाएं दी जाएंगी।

आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल के लेफ्टिनेंट जनरल नरेश कुमार ने बताया कि आगामी जनवरी महीने में पहली दफा हम बांझपन की शिकार एक महिला के फोरआर्म की त्वचा के अंदर उसके ही सुरक्षित रखे गए ओवेरियन टिश्यू को इंप्लांट करेंगे। ऐसा अंडाणुओं को विकसित करने के लिए किया जाएगा, जो निकट भविष्य में उसे मां बनने में मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का इंप्लांट देश में पहली दफा हो रहा है।

गौरतलब है कि कैंसर का इलाज करवाने, जिसमें कीमोथेरपी, रेडियोथेरपी और रेडिकल सर्जरी शामिल हैं, की वजह से हर साल अनगिनत महिलाओं में समय से पहले ‘मीनोपॉज’ और बांझपन की समस्या आ जाती है और वे मां बनने की उम्र में रहने के बावजूद संतान सुख से महरूम रह जाती हैं।

इस अस्पताल की एआरटी क्लिनिक में आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) के विशेषज्ञ कर्नल पंकज तलवार ने बताया, पुरुषों और महिलाओं के लिए कैंसर बेहद दुखद हो सकता है, क्योंकि इसका उपचार उन्हें बांझ बना सकता है। इस महिला के मामले में हमने उसके ओवेरियन टिश्यूज को उसका कैंसर का इलाज शुरू होने से पहले ही सुरक्षित रख लिया। अब यह महिला कैंसर से पूरी तरह मुक्त है। हमलोग अब लोकल एनिस्थिसिया का इस्तेमाल कर उसके फोरआर्म की स्किन के अंदर ओवेरियन टिश्यू इंप्लांट करेंगे। अगर इसके कुछ दिनों के बाद इंप्लांट की गई जगह पर मटर के दाने के बराबर उभार या सूजन आ जाता हैं, तो हमलोग इस प्रयोग को कामयाब मानेंगे। इसके बाद हमलोग इस उभार वाली जगह से अंडाणुओं को निकाल लेंगे और तब महिला इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक से गर्भधारण कर सकती है। इस पूरी प्रक्रिया में तीन से चार महीने लगने की उम्मीद है।

अभी तक इस तकनीक का इस्तेमाल कर पूरी दुनिया में सात-आठ शिशुओं का जन्म हो चुका है। इस अस्पताल के डॉक्टरों ने अभी तक दो युवा कैंसर मरीजों के टेस्टिक्यूलर टिश्यू, 53 लोगों के स्पर्म सैंपल और 13 ऐसे मरीजों के ओवेरियन टिश्यू को सुरक्षित रखा है।